Monday 5 October 2015

Friend to Wife

मैं (फरहान) और कश्यप जब delhi नौकरी करने आये तो हमे किराये के कमरे तलाशने की आवश्यकता हुई. गगन विहार, आनंद विहार, प्रीत विहार न जाने कहाँ कहां घूमे मगर रूम नहीं मिला. सबकी एक ही डिमांड थी कि हम कुंवारे लड़कों को रूम नहीं देते. फॅमिली वाले को देते हैं. फिलहाल हम एक होटल में रुके हुए थे. वहां से रोजाना ऑफिस जाना होता. और रोजाना 500 रूपये का खर्चा हो रहा था. अभी तक हम घर से पिताजी से ली हुई रकम खर्च कर रहे थे. वोह भी अब ख़त्म होने वाली थी. मेरी सैलरी ९००० रूपये ही थी. और कश्यप ११००० रूपये कमा रहा था. अगर इसी तरह होटल में रहते रहे तो अपनी तो सारी सैलरी इसी होटल के किराये में चली जाएगी.
(यहाँ यह भी बताता चलूँ की मुझे थोड़ी बहुत crossdressing पसंद थी. लेकिन जूनून नहीं था. न ही मेरे अंदर ऐसे विचार आते कि कोई मेरे साथ सेक्स करे. बस ड्रेसिंग का शौक़ था. कभी कभार मम्मी, मौसी के कपड़े पहन कर मैं आनंदित होती.)
जब दिन भर की दौड़ धूप के बाद भी हमें कोई सफलता नहीं मिली तो फिर थक हार कर शाम को होटल रूम में लौट आये. कश्यप की हालत खराब थी. उसे बहुत मुशकिल से यह नौकरी मिली थी. अगर वोह वापस जाता तो उसके घर वालों के लिए एक बड़ी समस्या हो जाती. बोला यार कैसे भी इस समस्या का समाधान करो. वरना तो यार मुझे आत्म हत्या करनी पड़ेगी. परिवार का खर्चा मेरे जिम्मे है. और पिताजी रिटायर हो गये हैं. मेरे पास मात्र ४०००० रूपये हैं. मैं सारे पैसे देने को तय्यार हूँ. बस मेरी समस्या हल हो जाये.
मैं पहले से सोचे बैठे था मैंने खा एक आईडिया है थोडा पैसा तो खर्च होगा, मगर प्रॉब्लम सोल्वे हो जाएगी. बोला प्लीज बताओ मुझे. मैंने कहा मुझे लड़की बनना पड़ेगा. बोला मजाक मत कर मैं बहुत उलझन में हूँ. मैंने कहा मैं भी इसी उलझन में हूँ लेकिन मजाक नहीं कर रहा. बोला की अबे पागल है कैसे हो जायेगा तू लडकी. अबे साले तू क्या छक्का है? और तमाशा बनाएगा मेरा. मैंने कहा अबे चूतिया ध्यान से सुन मेरी बात. तुम और मैं मियन बीवी बन कर रहेंगे. रूम आसानी से मिल जायेगा. तुझे याद है फ्रेंड्स कॉलोनी में कितना अच्छा और सस्ता फ्लैट था और वोह कह रहा था की सिर्फ विवाहित लोग रह सकते हैं. मैं छक्का हूँ या हिजडा हूँ तुझे इससे क्या मतलब. अगर मतलब है तो हम दोनों वापस चलते हैं.
उसने अपनी चिंता से ध्यान हटा कर थोडा सोचा और बोला, यार एक आदमी औरत की तरह रहेगा तो लोग पहचान जायेंगे. तेरे साथ मेरी भी बे इज्ज़ती होगी. मैंने कहा चुप प्लानिंग करते हैं. मैंने कहा की मैं अपनी पूरी बोदी की वैक्सिंग करा लेता हूँ. फरीदाबाद में एक ब्यूटी पारलर है वहां tg का ब्यूटी पारलर है वहां मैं मेकअप करवा लूँगा. कुछ रेडीमेड कपड़े खरीद लेंगे. मैं साड़ी में रहूगा. 
कश्यप घबराया और बोला की यार एक बात सुन चल रूम तो मिल जायेगा मगर तेरी नौकरी का क्या होगा. मैंने कहा की उसका मैंने जुगाड़ कर लिया है. मैंने आज एक बहुत अच्छी जॉब देखि है वोह है एक बच्चे की देखभाल करने वाली गवर्नेस की. सैलरी भी अच्छी है. रहना फ्री है. मैंने अपने हुसबंद के लिए भी रहने का जुगाड़ कर लिया है. वोह मुझे घुर से देखने लगा. बोला अबे तू है क्या. सपने देख रहा है क्या? मैंने कहा मैं जो कुछ भी हूँ यह सब मुझ पर छोड़. कल से मैं यह प्रोजेक्ट शुरू कर रहा हूँ. 
अगले दिन मैं कश्यप को रूम में छोड़ कर बहार निकल गया. वहां से सीधा स्वेअटी ब्यूटी पारलर गया. वोह हिजड़ों का ब्यूटी पारलर था. वहाँ जाकर एक सुन्दर से हिजडे ने मेरा स्वागत किया और बोली बताइए क्या चाहिए. मैंने कहा की मुझे सुन्दर सी लड़की बना दो. उसने मुस्कुरा कर उपर से नीचे तक देखा. बोली पहले आपकी वैक्सिंग होगी फिर एलेक्ट्रोल्य्सिस, फिर ऑय ब्रो बनेगी, फिर कन छेदन होगा फिर नक छेदन. बोली की आप नहा लीजिये. और सिर्फ panty पहन कर बाहर आइये.
मैं सिर्फ पैन्टी पहन कर नहा कर बाहर आ गयी. उन्होंने मुझे एक कुर्सी पर बैठा दिया और मेरे ऊपर वैक्स लगाना शुरू कर दिया. फिर एक पट्टी को उसपर चिपका कर उलटी दिशा से खींचा मुझे बहुत तेज़ बाल टूटने का दर्द हुआ लेकिन जब मैंने अन्दर से साफ और चिकनी त्वचा देखि तो मुझे बहुत प्रसन्नता हुई. इस तरह उसने कुल्हे, टंगे, जंघे, पेट, कमर, सीना आदि साफ़ कर दिया. फिर वोह बोलीं ठंडे पानी से नहा कर फिर आओ. मैं फिर गयी और वापस आई. इस बार उन्होंने एलेक्ट्रोल्य्सिस के द्वारा चेहरे के अनचाहे बाल साफ़ कर दिए. इसमें टाइम ज्यादा लगा. बोलीं एक आध सेशन और करा लेना. 
इसके बाद मैंने ब्रा panty, पेटीकोट, ब्लाउज, साड़ी पहन ली. मेकअप भी हल्का कराया. विग भी लगाया और sandle पहन कर जो चली तो मुझे अपने स्त्री होने का पूरा एहसास होने लगा. थोडा हलके गुलाबी रंग में नेल पॉलिश और लिपस्टिक लगाने से मुझे अपने स्त्री होने पर गर्व होने लगा. मगर अंदर ही अंदर डर रही थी की कहीं भेद न खुल जाये. खैर मैंने ऑटो किया और जहाँ गवर्नेस की जॉब करनी थी वहां के लिए चल पड़ी. डरते डरते. पांव भी काँप रहे थे. ऑटो वाला मुझे घूर कर देख रहा था. मैंने निगाह हटा ली. और दूसरी तरफ देखने लगी. जब विनायक काम्प्लेक्स आ गए तो कुच्छ ही दूर से मैंने ऑटो वाले को रोक लिया. उसने ५५ रूपये लिए और चला गया. मैंने ब्लाक ३७ के सामने के गेट से अंदर गयी. और फ्लैट न. १४५ को ढूंढते हुए दरवाजे पर नॉक किया. अंदर से एक बुजुर्ग महिला ने दरवाजा खोला. बोली आप कौन मैंने खा जो विगयापन अपने दैनिक जागरण में दिया था उसके लिए बोली आइये. 
उसने फिर उस बच्ची के माता पिता के बारे में बताया की किस तरह वोह एक सडक हादसे में एक सप्ताह पहले गुज़र गए. रिश्तेदार गुजरात में रहते हैं. मगर उन्हें हम से कोई मतलब नहीं है. हम खुद उनसे कट गए हैं. अब हमें एहसास है की रिश्तेदार की भी अपनी आवश्यकता है. मगर क्या किया जाये. मैंने स्त्रियों की आवाज़ बना कर कहा सही कहा आपने. बोलीं आपका बैग इत्यादि कहाँ है. मैंने कहा अपने कन्फर्म कर दिया क्या. बोलीं हाँ . क्या नाम बताया अपने मैंने कहा फरहाना. बोली मुस्लिम हो क्या? मैंने कहा आधी आधी पति हिन्दू हैं. बोली कोई बात नहीं. इंसान होना चाहिए. धर्म तो दुकानदारी है आजकल. मुझे उनको बातें अच्छी लगीं. बोली आपको आपका कमरा दिखा दूं आपने अपने पति को फोन करके बुला लीजिये. हमने आपके आने से पहले आपके पति की पुलिस इन्क्वायरी भी करा ली थी. हमें कोई दिक्कत नहीं है. लगता है आपलोगों ने माँ बाप की मर्जी के बिना विवाह कर लिया है. क्योंकि इन्क्वारी में उन्होंने कश्यप को कुंवारा बताया है. हमें इससे कोई मतलब नहीं बाद में माँ बाप मान ही जाते हैं. मेरे बेटे ने भी प्रेम विवाह ही किया था. हमें बाद में बताया. उस बुजुर्ग महिला की आँखों में हल्के हल्के आन्सू भी आ गये थे. उनको देख कर मेरे भी निकल पड़े. मैंने उनको धाडस बंधाया. इससे वोह संतुष्ट सी हो गयी.
वोह मुझे कमरे तक ले गयी. वहां एक प्यारी सी बच्ची सो रही थी. बोली यह है एक साल की है. मुझसे तो संभलती ही नहीं. तुम संभाल लेना. यह इसकी मम्मी का कमरा है. अलमारी में बहुत से कपड़े हैं. वेस्टर्न, इन्डियन, undergarments, मेकअप का सामान इत्यादि. ज्वेलरी हम ने बैंक में जमा करा दी है. अगर तुमको ठीक लगे तो तुम उन कपड़ों को प्रयोद कर सकती हो. हालाँकि लोग मरे हुए लोगों के कपड़े पहनने से परहेज़ करते हैं. मैंने कहा की अरे आप चिंता न करें. मुझे ऐसा कोई वहम नहीं है. इसके बाद वोह चली गईं. मैंने फोन करके कश्यप को बुला लिया. इस बीच मैंने वार्डरोब को क्दोल कर देखा तो मेरी तो चीख ही निकल गयी. एक से एक शानदार साड़ियाँ, लेहेंगा चोली, ग़रारा, शरारा, परेलल, nighty, स्कर्ट, टॉप, ब्रा panty, विग्स, आर्टिफीसियल ज्वेलरी, मेकअप का सामान, हील्स और sandles की तो जैसे बरात सी आयी हुई थी. और ख़ुशी की बात यह कि नाप मुझसे से थोड़ी ज्यादा ही थी. वोह परिवार पंजाबी होगा जिस वजह से पैर भी उनके देहाती टाइप थे. इस वजह से मेरे पांव बिलकुल फिट आ रहे थे.
मैंने सोचा कि अब तो घर में ही हूँ एक ब्लैक कलर की साटन की nighty को try किया जाये. यह सोचकर मैंने अपनी साड़ी उतारी और पेटीकोट ब्लाउज भी उतारा और वोह nighty पहन ली. अब जो अपने आप को आइने में देखा तो देखती ही रह गयी. दिल चाह की अपने आप को चूम लूं. इतने में वोह बच्ची भी उठ गयी. मैंने उसे तुरंत गोद में ले लिया. वोह चुप गयी. दिल तो यह छह रहा था की उसको दूध पिला दूं अपने ही स्तनों से. मगर अफ़सोस. इतने में उनकी दादी आ गयी. बोलीं लो यह बोतल इसको पिला देना. तुम तो कमाल की हो. बच्चे चुपाने आते हैं. इसकी मम्मी तुमसे जरा मोटी थी. मुझसे इसकी भी ख़ुशी है की उसके कपड़े तुम्हे फिट आ रहे हैं और काम भी आ गये. मेरे पास एक सन्दूक है उसमे उसके और अंडर गारमेंट रखे हैं. यह कह कर वोह मुझे अपने रूम में ले गयी और एक सन्दूक की तरफ इशारा करके दिखाया और बोलीं देखो. मैंने खोल कर देखा तो उसमे कई रेशमी panty ब्रा रखी हुई थी. उसमे chemisole, lingerie, garter belt भी थीं. यह देखकर तो मैं हैरत ही कर गयी. मैंने कहा की हाँ इस्तेमाल हो जाएँगी ऐसा कह कर मुझे थोड़ी शरम सी भी आई.
इतने में दरवाजे पर नॉक हुई मैं दौड़ कर दरवाजे पर गयी वहां कश्यप खड़ा था. वोह बोला आप मैंने कहा अबे फरहान हूँ मैं. वोह तो सकपका गया थोड़ी देर में पहचाना. यह तो अच्छा हुआ दादी नहीं थीं वरना सारा खेल गडबड हो जाता मैंने कहा चुपचाप मेरे साथ चल. इतने में दादी आईं,, बोलीं कौन. मैंने कहा कि मेरे पति हैं. खैर इतनी तमीज़ कश्यप को थी की उसने तुरंत दादी के पैर छुए. दादी ने कहा जीते रहो. बोली हाथ मुंह धोलो फिर खाना खा लेना. मैं उसे अपने कमरे में ले गयी और उसे सारी कहानी सुनायी. बोला तुमने बहुत हिम्मत की है. और यार तुम सुन्दर भी बहुत लग रहे हो. मैंने कहा भूल से भी यह मत कहना. अब मैं लग रही हूँ. ना कि लग रहा हूँ. बोला सॉरी. याद रखना की तुम यहाँ मेरे पति हो. मैंने कहा
दादी से मैं खाना पकाना भी सीख गयी. 3 सेशन मैंने लेज़र थेरेपी के लिए. हॉर्मोन थेरेपी भी साथ साथ चलती रही. एक बार हैदराबाद जाकर मैंने सर्जरी भी करवा ली. अब मैं पुरे इत्मीनान से थी. कश्यप ने मुझसे विवाह कर लिया. जिसकी खबर दादी को नहीं दी. 
असल में कश्यप जब रात को सोता था तो उससे रुका नहीं गया. बोला देखो तुमने मेरे साथ कितना किया है. एक और एहसन कर दो वोह यह की मुझे अपना पति वास्तव में बना लो. यह एहसान मैंने उस पर कर दिया. और हमारे बीच शारीरिक सम्बन्ध स्थापित हो गये. वोह मेरे साथ पुरे जीर शोर से सम्भोग करते जिससे मैं भी पूरी तरह तृप्त होती और वोह भी होते. बच्ची हम पाल ही रहे थे. हमारा इरादा था की हम एक घर अलग ले लेंगे. जब गवर्नेस की ड्यूटी यानि नौकरी दो तीन साल में पूरी हो जाएगी. मगर दादी ने हमारी मेहनत और प्रेम को देखकर आधी प्रॉपर्टी हमारे नाम कर दी और आधी बच्ची के नाम. पांच साल बाद दादी की मृत्यु हो गयी. अब साली प्रॉपर्टी लगभग हमारी थी. पहली बार लगा की पैसे की कोई अहमियत नहीं है रिश्तों के आगे. वोह खाली फ्लैट (पूरी हवेली ही थी, क्यूंकि उन्होंने 4 फ्लैट की जगह पर एक हवेली बनवा दी थी) दादी के बिना अधूरा था. मैं उस दिन बहुत रोई थी. रिश्तेदार में से बस तीन लोग उनकी मृत्यु पर आये थे. वकील जिसने वसीयत लिखी थी वोह भी आया था. उसने उनके रिश्तेदारों को दादी की वसीयत से आगाह कर दिया था. यह सुनकर वोह भी भाग गए. मेरे पीटीआई ने अपने ऑफिस के सहयोगियों के साथ उनका अंतिम संस्कार किया. मगर एक बात थी की दादी को मरते समय कोई चिंता अपनी पोती की नहीं थी. यह मेरे लिए बहुत बड़ा ख़ुशी का मौक़ा था. औरत अगर रिश्तों के बदले दौलत के पीछे दीवानी है तो वोह कुत्तों से बदतर हो जाती है. ऐसी औरत को मर्द पसंद नहीं करता. यही हाल मर्दों के होता है, जो डुलत के पीछे भागते हैं न बच्चे उनका साथ देते हैं न बीवी.

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